Sunday, September 30, 2012

पांच साल हो गए

प्रिये
दिल को प्यार हुए पांच साल हो गए
दिल को बिमार हुए पांच  साल हो गए
आंखे चार हुए पांच साल हो गए  ।

पांच साल पहले रुसवाई थी जिंदगी मै
तुमने  नई रोशनी जगाई थी जिंदगी मै

दिल को प्यार हुए पांच साल हो गए
दिल को बिमार हुए पांच साल हो गए
आंखे चार हुए पांच साल हो गए  ।

पांच साल पहले थामा था तुम्हारा हाथ
वादा निभाऊगा जीवन भर साथ

दिल को प्यार हुए पांच साल हो गए
दिल को बिमार हुए पांच  साल हो गए
आंखे चार हुए पांच साल हो गए  ।



Saturday, September 22, 2012

पिताजी ने दिलाया मुझे एक और जीवन साथी

आज में फिर एक बार खुश हू,, हर बार की तरह मेरे पिताजी ने अपनी खुशियों और चिंताओ का त्याग करके मुझे लेपटाप दिला दिया... सच बताऊ इस मेरे पिताजी के इतने बड़े शौकीन है कि हमें कोई भी शौक की आदत पालने की जरुरत नही है सारे शौक पिताजी  के शौक के बहाने पूरे हो जाते है।

हमारे घर में हमेशा यह डर लगा रहता है कि पिताजी आज कुछ नया खरीद न लाये ... क्योंकि मै एक मध्यमवर्गी परिवार से संबध रखता हू महीने के आखिरी दो हफ्ते आते आते पैसे की कमी महसूस होने लगती है पर पिताजी सारी चीजों को एक तरफ करके हमारी शौक और पढाई को ज्यादा तवज्जों देते है।gud nite
 

 

 

Friday, August 24, 2012

पानी के रिसाव से फुटओवर बिज्र की लिफ्ट खराब, बिजली के नंगे तार दे रहे बड़े हादसे को न्यौता


 विशेष रिर्पोट- निहाल सिहं
नई दिल्ली 24 अगस्त। राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया था। और दिल्ली को सजाने के लिए करोड़ो की राशि को पानी की तरह बहाया गया था। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों पर कार्य को करने में ढिलाई बरतने की पोल अब खुलती जा रही है। जिसका सबूत मथुरा रोड़ पर लगे एक फुटओवर बिज्र की वर्तमान खस्ता हालत से लागया जा सकता है।
मथुरा रोड़ पर पुराने किले के नजदीक लालबत्ती के पास करदाताओं की खून-पसीने की कमाई को खर्च करके लाखों रुपये की लागत से बनाया गया फुटओवर बिज्र पर बारिश का पानी जाने से लिफ्ट खराब पड़ी है। जिसके कारण कई बुर्जग और महिलाओं को सड़क पार करने के लिए खासी परेशानियां झेलनी पड़ती है। लिफ्ट खराब होने की बजह से महिलाए और बुर्जग आमतौर पर जोखिम उठाकर बिना फुटओवर बिज्र के सड़क पार करने मजबूर है।
बताते चले की इस फुटओवर बिज्र के पास उच्च न्यायलय से आने वाले ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन लिफ्ट के खराब हो जाने के कारण लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
एक बुर्जग महिला ने बातचीत को दौरान बताया कि वह आमतौर पर सड़क पार करने के लिए इस फुटओवर बिज्र का इस्तेमाल किया करती थी लेकिन लगभग दो तीन सप्ताह पहले से यह लिफ्ट खराब पड़ी है जिसके कारण वह जोखिम उठाकर सड़क पार करती है।
फुटओवर बिज्र के रखरखाव से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह लिफ्ट कुछ दिन पहले हुई बारिस के पानी जाने से खराब है। जिसकी शिकाय़त वह इसकी मरमम्त से जुड़े लोगों से भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। रोजाना सैकड़ो राहगीर लिफ्ट तक आते है लेकिन लिफ्ट के खराब होने के कारण हमको कोस कर चले जाते है। जो लोग सीढिया का उपयोग कर सकते हैं वो लोग सीढियों से चले जाते है। जबकि बुर्जग और महिलाएं बिना पैदल पार पथ के ही सड़क को पार करते हैं।
साथ ही फुटओवर बिज्र को बिजली देने के लिए लगे पास में एक बिजली के खम्बे को खुला छोड़ रखा है। जिसके कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बारिस के कारण आस पास के फुटपाथ पर लगी जालियों मै कंरट फैलने का भी खतरा बना हुआ है। लेकिन संबधित विभाग के लोग इस गलती से अनजान बनकर मोटी तनखांवाए लेने में व्यस्त है।

Thursday, August 2, 2012

मुझे दुख है कि मैनें अरंविद केजरीवाल जैसै हिजडै वाली टीम अन्ना को देखा है'

आज मैने जब अपने फेसबुक पर लिखा कि 'मुझे दुख है कि मैनें अरंविद केजरीवाल जैसै हिजडै वाली टीम अन्ना को देखा है' तो मेरे एक मित्र ने मुझे फोन करके पूछा कि क्या हुआ तुम पहले तो अन्ना हजारे का समर्थन करते थे पर आज गाली दे रहे हो क्या हो गया हमें भी बताओ तो मैने कहा मै आपको ही नही सार्वजनिक तौर पर मुझसे जुड़े सभी लोगो बताउगा....

मित्रो कल तक अनशन करके और लोगों की भावनाओं को पकड़कर आंदोलन का ढोंग कर रही हिजड़ी टीम अन्ना ने आज अपना असली रुप दिखा ही दिया । भ्रष्ट्राचार के नाम पर राजनैतिक विकप्ल देने की बात कर रहा केजरीवाल भी नेता बनना चाहता है। ये हिजड़े अनशन के नाम पर भगत सिहं को आदर्श मानकर देशभक्तो को जोड़ने की कोशीश कर रहे थे। भगत सिहं को आदर्श माना ठीक बात है और अनशन रखा वो भी ठीक था लेकिन ये क्या कि देखा कि सरकार पर कोई असर नही पड़ रहा है तो अनशन तोड़ दिया और हिजड़ी टीम अन्ना कहने लगी की 23 जाने माने लोगो के कहने पर हम अब देश को राजनैतिक विकल्प देगे। कुत्तो की औलादो शर्म नही आई ये कहते हुए कि कल हम अपना अनशन तोड़ देगे। एक हिजड़ा केजरीवाल मर जाता तो क्या होता क्या देश से भष्टाचार नही जाता । जैसे की भगत सिहं के शहीद होने के बाद हमें आजादी न मिली । भगत सिहं शहीद हुए तभी युवाओं का खून खोला और फिर देश ने आजादी देखी.....

हिजड़ी टीम अन्ना ने मरने के ड़र अनशन खत्म करा और चल पड़े नेता बनने।

Tuesday, July 31, 2012

अन्ना के समर्थन मे कांटो पर लेटा युवक


नई दिल्ली (हि.स.) जनलोकपाल और केन्द्रीय मंत्रियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार को लेकर विशेष जांच दल के गठन की मांग को लेकर आंदोलनरत टीम अन्ना के अनशन में बढ़ रही भीड़ को देखकर लोगों में जोश भरता जा रहा है। इस दौरान अन्ना समर्थक अलग-अलग वेश-भूषा में अनशन स्थल पर देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं मंगलवार को उत्तर प्रदेश का एक युवक कांटो भरे पेड़ की डालियों पर लेटकर अन्ना के समर्थन में अनशनरत है। 
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के छोटे से कस्बें से आया हुआ एक युवक लोगों में आंदोलन का प्रतीक बन रहा है। 27 वर्षीय सत्यनारायण सिसोदिया बबूर के पेड़ की ड़ाली पर लेट कर अनशनरत हैं। उनका कहना है कि देश में युवाओं के होते हुए भी हमारे बुजुर्ग अन्ना हजारे अनशन पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्ट्राचार के कारण भारत माता काटों पर लैटी हुई हैं इसलिए अपनी भारत मां के लिए मैं भी कांटो पर लेट कर अनशन कर रहा हूं।
अक्सर देखा गया है कि अन्ना के आंदोलन में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए लोग अक्सर नए-नए तरीकों से आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कोई अनशन में अपने शरीर पर तिरंगा छपावकर लोगों को आकर्षित कर रहा है। तो कोई कम्र उम्र के बच्चों के हाथ में तिरंगा थमा कर अकार्षण का प्रतीक बना हुआ है। कई लोंग सरकार पर व्यंग्यात्मक नारों से जनता को आकर्षित करने में लगे हैं।
इतना ही नहीं सत्यनाराण सिसौदिया के कांटों पर लैटने से उसकी पीठ बुरी तरह जख्मी हो चुकी है। जिसके कारण अन्ना हजारे ने भी सत्यनारयण से अपील की वो अपनी जिद को त्याग दें। लेकिन उसका कहना है कि वह अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करने के बाद ही अब वह यहां से उठूगां।
युवक उत्तर प्रदेश से बारहवीं पास है। उसका कहना है कि देश में भ्रष्ट्राचार के कारण उसे नौकरी नहीं मिली जिसके कारण वह खेती करता है। युवक शादी-शुदा है उसकी एक बेटी भी है।

हिन्दुस्थान समाचार/31.07.2012/निहाल

Friday, July 13, 2012


निहाल सिहं । नई दिल्ली ।।  जेल में बंद करा देगें जानते नही हो हम कौन है। आजकल राजधानी दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के वकील यही कहते नजर आते है। कोर्ट के स्टांप पेपर बिक्री काउंटर समस्यओं का पहाड़ है। प्रशासन की मिली भगत से अवैध पार्किंग की समस्या आम बन चुकी है। धूप और बारिश में खडें होकर लोग स्टांप पेपर खरीदने को मजबूर है। स्टांप पेपर के खिड़की पर गंदगी आदि सब समस्याए आम बन चुकी है। न तो प्रशासन इसकी ओर ध्यान देता है । और दे भी क्यों क्योंकि कोर्ट में सब चलता है।
स्टांप पेपर बिक्री काउटर पर स्टांप पेपर बिक्री कर्मचारी की बदतमजी के लोग  आदि हो चुके है। कर्मचारी और कोर्ट परिसर में घूमते स्टांप पेपर के दलालों की मिली भगत से सब कुछ चल रहा है। क्योंकि दलाल और वकील मिलकर
कर्मचारी के हौसलें को बुलंद करते है।  भारी कमीशन के लालच में कर्मचारी सरेआम वकीलों और दलालो को खिड़की के अंदर से ही स्टांप पेपर को मुहैया करा देता है। जब लाइन में लगे हुए लोग इस बात को विरोध करते है, तो उन्हें विरोध करने के पर धमकियां दी जाती है कि ज्यादा विरोध किया तो जेल में बंद करा देगें। और पता भी नही चलेगा कहा गायब करा दिए जाओगें। कभी कभी तो ये लोग स्टांप काउंटर पर खडें लोगो के साथ गाली गलौच भी करते नज़र आ जाते है।
   दक्षिणी पुरी में रहने वाले निशांत का कहना है था कि में यहा पर पिछले एक घंटे से लाइन में लगा हुआ हूँ। लेकिन मेरा आगे सिर्फ चार व्याक्ति खडे हुए है लेकिन एक घंटा लाइन ख़डे होने पर मुझे स्टांप पेपर मिला है। स्टांप पेपर बिक्री कर्मचारी का व्यवहार बहुत ही खराब है।

विजय शेट ने कहा कि ये लोग आम जनता को वेबखूफ बनाते है । दलालों से मिली भगत होने के कारण ये दलालों को स्टांप पेपर बेच देते है। जिससे ये दलाल भारी कमीशन पर लोगों को बेच देते है ।  स्टांप पेपर बिक्री कर्मचारी जानबूझ कर लोगों के साथ गलत तरीके से पेश आता है ताकि मजबूर होकर लोग दलालों से स्टांप पेपर को खरीदे।
सूत्रो ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दलालों को एक ग्रोह बहुत ही सक्रीय है । और यह ग्रोह कर्मचारियों से मिलकर काम करता है ।जिससे कर्मचारियों को  भी अच्छा खासा कमीशन मिल जाता है ।

Sunday, July 8, 2012

रेहड़ी-खोमचों पर खाद्य सामग्री के लिए बनाए मानक


तरुण वत्स/ निहाल सिहं । अक्सर घर से बाहर जाकर आपका दिल गोल-गप्पे, फल, चाट आदि खाने का होता होगा। आप शौक व स्वाद में रेहड़ी, खोमचों से ऐसी वस्तुएं खा तो लेते हैं लेकिन इन रेहड़ी- खोमचे लगाने वालों की साफ-सफाई और गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते।
अब भारतीय मानक ब्यूरो ने  जनता के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए रेलवे स्टेशनढाबों और गली-मोहल्ले में खाने पीने के सामान के रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों के लिए साफ-सफाई और गुणवत्ता के मानक तैयार किए हैं।  बी.आई.एस द्वारा तैयार इन मानकों में रेहड़ी या ढाबा कहां लगाना हैखाना कैसे बनाना व परोसना हैकिस प्रकार का कच्चा मालसामग्री का इस्तेमाल करना हैतैयार भोजन को कैसे लाना-ले जाना है,उसे किस प्रकार के बर्तन में रखना है जैसी बातें शामिल हैं।
पिछले कई महीनों में फास्ट फूड व चाट-पकौडे जैसे खाने के सामान लगाने वालों की तादाद बढ़ी है। खासतौर से शहरी इलाकों में इनकी संख्या में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई है। अक्सर ये लोग बस-अड्डों, रेलवे स्टेशनों, गली-मोहल्लों, बाजारों में खड़े होकर अपना सामान बेचते नज़र आते हैं। ये अपना माल सस्ता तो देते ही हैं, साथ ही आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं।
शहरी क्षेत्रों में आने वाले इन लोगों की आय का स्रोत यही रेहड़ी व खोमचे होते हैं। ऐसे में बीआईएस द्वारा तैयार इन मानकों से खाद्य उद्योग के प्रति लोगों के विश्वास को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही जता भी इन रेहड़ी-खोमचों से सामान खरीदते वक्त अपने स्वास्थ्य के प्रति कम चिंतित होगी।
मामले से जुडे बीआईएस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘लोगों को स्वास्थ्यवर्धक और गुणवत्तापूर्वक खाने-पीने की चीज उपलब्ध कराने के इरादे से ये मानक बनाये गये हैं। इन मानकों में गुणवत्तापूर्ण कच्चा मालसामग्री का उपयोगपरिवहन तथा भंडारण के लिये इनसुलेटेड’ बर्तन का इस्तेमालप्रदूषण फैलने वाली जगह पर खाने-पीने की चीज नहीं बेचनासिर ढक कर खाना बनानाखाना परोसते समय हाथों में दस्ताने पहनना समेत साफ-सफाई का ध्यान रखनाकचरे को सही तरीके से फेंकनाकीट पतंगों से बचाव तथा इस विषय में व्यक्तिगत प्रशिक्षण के मानक शामिल हैं।’’
बीआईएस के अनुसार खाने को बार-बार गर्म करने से भी खाद्य पदार्थ दूषित हो सकता है। शिक्षा तथा जागरुकता की कमी से यह समस्या बढी है जिसे दूर करने की जरुरत है।

अधिकारी से जब यह पूछा गया कि इस तरह से खाद्य पदार्थ बेचने वालों के पास मानकों के अनुपालन के लिये संसाधन कहां से आएंगे तो उसने कहा कि लोगों में जैसे-जैसे इसके प्रति जागरुकता बढेगीखाद्य पदार्थ बेचने वाले मानकों को भी लागू किया जाएगा।’’ एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि इन मानकों को अनिवार्य करने और उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी सरकार पर है और सरकार को ही इस बारे में निर्णय करना है।
बीआईएस ने अबतक 18,700 मानक बनाये हैं जिसमें से केवल 83 अनिवार्य हैं। इन अनिवार्य मानकों में से 12मानक खाद्य पदार्थों से संबंधित हैं। बीआईएस ने इन मानकों को ऐसे दिशानिर्देश के रुप में तैयार किया है जिसके अनुपालन से खामेचेरेहडी तथा ढाबा में बिकने वाले खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता सुधरेगी और ग्राहकों को स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर खाद्य पदार्थ मिल सकेंगे।

इससे पहले कई नगर पालिकाओं के स्वास्थ्य विभागों ने बस स्टैंडस्कूलों के बाहर ठेलों व अन्य चौराहों पर कचौड़ीसमोसेजलेबी, फल, चाट व अन्य खाद्य पदार्थों को खुले में रखकर बेचने पर रोक लगा दी थी। इसका कारण यह बताया गया था कि खुली पड़ी खाद्य सामग्री पर मक्खियाँमच्छरकीड़े आदि बैठते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से जन-स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है व गंभीर बीमारियां फैलने का डर होता है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा बनाए इन मानकों से रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों की खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में ज़ाहिर तौर से सुधार होगा। हालांकि समय समय पर इस बात की जांच आवश्यक होगी कि क्या रेहड़ी-खोमचे लगाने वाले इन मानकों का ठीक से पालन कर रहे हैं ताकि इन मानकों को बनाने का मकसद ठीक से पूरा हो सके और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो